
Ek Adhoori Khwahish
भावना को ये सब अजीब लग रहा था लेकिन फिर भी उसने आयशा की बात मानी और साड़ी के ऊपर ही बुर्का पहन लिया और उसके साथ चल दी। दोनों ने ऑटो लिया और फिर मौलवी साहब के पास चल दी। मोहल्ले में पहुंच कर उन्होंने कुछ अगरबत्ती, फूल और मिठाई खरीदी और फिर मजार की ओर चल दी। दोपहर का समय था,वहां उस समय भीड़ नहीं थी। आयशा भावना के साथ मजार में गई। वहां एक 55 साल का आदमी बैठा था, जो कि वहां का मौलवी था। भावना ने उसे नमस्ते कहा तो उसने सिर हिलाकर अभिवादन किया। उसकी नजरें भावना के बुर्के में कैद बदन को निहार रही थीं। भावना उसके आगे हाथ जोड़े बैठी थी और निशब्द थी।













